हम सभी ने कोरोना को देश में एक जंग जैसा तो बना लिया पर ईमानदारी से कुछ ही लोग लड़ रहे है ,बाकि सब तो अपना मनोरंजन कर रहे है परिस्तिथि की गंभीरता को समझ नहीं रहे है ,न ही ये सोच रहे है की देश का प्रधान मंत्री अगर हाथ जोड़ क विनती कर रहे है तो जरूर कोई अनहोनी का अंदेशा होगा !
जैसे घर के जिम्मेदार आदमी का होता है के घर में अगर उनकी कोई बात नहीं समझ रहा तो वो हर संभव प्रयास करता है ,भले ही उस समय हमें बहुत गलत और बुरे भी लगते है पर ज़िन्दगी में आगे चल कर हमारे साथ उनकी कही बात के अनुसार ही कुछ अच्छा या बुरा होता तब उनकी बात जरूर याद आती है ,और तब तक हम भी उम्र के उसी पायदान में खड़े रहते है जहा हम अपने परिवार के जिम्मेदार होते है और अभी की पीढ़ी हमें समझ नहीं पा रही।
बस वैसे ही हम अगर गौर करे तो देखो कोरोना ज्यादातर किसे हुआ शुरुआत में जो मांसाहारी थे। और आज देश में मांस के बिकने की आर्थिक स्तिथि भी बहुत गिर गयी है। मतलब पशुओ को मारा और उनके जो रोग थे वो लिए और फैलाये। .दूसरा आता है हमने प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ की वो है गाड़ियों से या कारखानों से है या किसी भी तरह के प्रदूषण को हमने इतना फैलाया की प्रकृति माता को रुला ही दिया। ..इसी तरह हमने पानी को भी बहुत ज्यादा प्रदुशित किया ,जब की हमें कई तरीको से समझाया गया पर हम कहा मानने वाले थे !
अब आज की स्तिथि देख लो ,जिनको हमने परेशान किया आज हर वो चीज या प्राणी खुल के साँस ले रहे है ,और इंन्सान जो सोचता था ये दुनिया मुझसे चलती है, वो कैद है रुक गया है और दुनिया तो वैसे ही चल रही है। नदिया वैसे ही बह रही है कही कोरोना से रुकी नहीं ,उल्टा इंसानो के प्रकोप से बच के साफ और हो गयी,सूरज भी उग रहा है चाँद भी दिखाई दे रहा है। सबसे बड़ी बात बिचारा आसमान ने रहत की साँस ली है धुएं के प्रकोप से अब साफ हुआ है और खुल के जी रहा है। ..
और पशु तो इतने खुले हुए है जैसे हमें चिढ़ाने को हो रहे है ,सड़को पर आ गए ,अभी देखा कुछ शहरों में सड़को पे आये हुए दिखे जानवर। अपने परिवार के साथ। जैसे उनको इतनी सुन्दर दुनिया दिखाने लाये है के देखो इसे इंसानो ने इतना डरावना बना रखा है!!
अब अगर बात करे घर पर बैठे इंसानो में ,उनमे बस एक बात अच्छी हुई है की उनको साथ रह के अपने परिवार का अनुभव हुआ के उनकी भावनाओ को समझना या जो व्यस्त जीवन शैली से सब दूर हो गए वो अब कुछ पास आये है एक दूसरे के साथ रह के सब को अच्छा लगता है।
कहने का आशय है की भगवान की बनाई इस सुन्दर धरती माता को हम इंसानो ने कष्ट पहुंचाए ,उनका एक छोटा सा अनुभव मात्र है। और अभी भी हम नहीं समझे तो आगे स्तिथि और भयानक हो जाएगी।
जैसे घर के जिम्मेदार आदमी का होता है के घर में अगर उनकी कोई बात नहीं समझ रहा तो वो हर संभव प्रयास करता है ,भले ही उस समय हमें बहुत गलत और बुरे भी लगते है पर ज़िन्दगी में आगे चल कर हमारे साथ उनकी कही बात के अनुसार ही कुछ अच्छा या बुरा होता तब उनकी बात जरूर याद आती है ,और तब तक हम भी उम्र के उसी पायदान में खड़े रहते है जहा हम अपने परिवार के जिम्मेदार होते है और अभी की पीढ़ी हमें समझ नहीं पा रही।
बस वैसे ही हम अगर गौर करे तो देखो कोरोना ज्यादातर किसे हुआ शुरुआत में जो मांसाहारी थे। और आज देश में मांस के बिकने की आर्थिक स्तिथि भी बहुत गिर गयी है। मतलब पशुओ को मारा और उनके जो रोग थे वो लिए और फैलाये। .दूसरा आता है हमने प्रकृति के साथ जो छेड़छाड़ की वो है गाड़ियों से या कारखानों से है या किसी भी तरह के प्रदूषण को हमने इतना फैलाया की प्रकृति माता को रुला ही दिया। ..इसी तरह हमने पानी को भी बहुत ज्यादा प्रदुशित किया ,जब की हमें कई तरीको से समझाया गया पर हम कहा मानने वाले थे !
अब आज की स्तिथि देख लो ,जिनको हमने परेशान किया आज हर वो चीज या प्राणी खुल के साँस ले रहे है ,और इंन्सान जो सोचता था ये दुनिया मुझसे चलती है, वो कैद है रुक गया है और दुनिया तो वैसे ही चल रही है। नदिया वैसे ही बह रही है कही कोरोना से रुकी नहीं ,उल्टा इंसानो के प्रकोप से बच के साफ और हो गयी,सूरज भी उग रहा है चाँद भी दिखाई दे रहा है। सबसे बड़ी बात बिचारा आसमान ने रहत की साँस ली है धुएं के प्रकोप से अब साफ हुआ है और खुल के जी रहा है। ..
और पशु तो इतने खुले हुए है जैसे हमें चिढ़ाने को हो रहे है ,सड़को पर आ गए ,अभी देखा कुछ शहरों में सड़को पे आये हुए दिखे जानवर। अपने परिवार के साथ। जैसे उनको इतनी सुन्दर दुनिया दिखाने लाये है के देखो इसे इंसानो ने इतना डरावना बना रखा है!!
अब अगर बात करे घर पर बैठे इंसानो में ,उनमे बस एक बात अच्छी हुई है की उनको साथ रह के अपने परिवार का अनुभव हुआ के उनकी भावनाओ को समझना या जो व्यस्त जीवन शैली से सब दूर हो गए वो अब कुछ पास आये है एक दूसरे के साथ रह के सब को अच्छा लगता है।
कहने का आशय है की भगवान की बनाई इस सुन्दर धरती माता को हम इंसानो ने कष्ट पहुंचाए ,उनका एक छोटा सा अनुभव मात्र है। और अभी भी हम नहीं समझे तो आगे स्तिथि और भयानक हो जाएगी।
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