मै इसमें कुछ लिखू उस से पहले ये जरूर कहूँगी के आपके मन में जरूर अपने जीवन के उस इंसान का ख्याल आया होगा जिसको आप अपने फुर्सत के लम्हो में ,या कहु हो उस समय जरूर याद करते हो ,जब आप बहुत खुश या बहुत दुखी हो!
पर मेने यहाँ "वो".का मतलब किसी और सन्दर्भ में लिखा है ,जिस तरह से किसी भी पति पत्नी क सुखी वैवाहिक जीवन में किसी "वो " का होना उनके सुखी जीवन में बाधा उत्त्पन करता है उसी तरह पति पत्नी क विचार एक ऐसी चीज है जो दोनों क आपस में सुखी होने पर भी बाधा उत्त्पन करते है.. पता नहीं आप इस बात में सहमत है या नहीं पर ऐसा होता है कई बार ऐसा होता है क पत्नी ऐसा सोचती है के में आज कहा आ गयी मुझे ये समझते नहीं है। .. और पति ये ही सोचता है के मुझे ये समझती क्यों नहीं है में इसके भले के लिए कह रहा हु ,और इसी कष्मकस में दोनों एक दूसरे से वैचारिक मतभेद क कारन उलझ जाते है और अपनी अपनी ज़िन्दगी को कोसते है या अपने आप को। ..
बात यही ख़तम नहीं होती इस परिवार के दूसरे सदस्यों पे भी प्रभाव पड़ता है ! हो सकता है आप में संयम हो पर कुछ ऐसी भी पत्निया होती है जो इस झुंझलाहट को अपने बच्चो पे निकलती है ,उसे लगता है में शांत हू , मुझे क्या करना है ,एक अबला की तरह सोचने लगती है की मेरी तो बस अब यही ज़िन्दगी है,......
पर सच्चाई कुछ और ही होती है जिसके लिए वो इतना दुखी और अबला बनती है दरअसल वो तो भूल ही जाता है तब तक बात को और अपने काम लग जाता है.. इस वो की वजह से पत्नी को लगता है में इतनी परेशान हु और इनको कोई फर्क नहीं पड़ रहा परन्तु वो तो अपने ज़िन्दगी की दूसरी उलझनों के हिसाब किताब लगा रहे है... इस स्तिथि में जब एक पत्नी अपनी ज़िन्दगी को कोस रही होतीहै तब पतिदेव एक आवाज लगते है" चाय ला रही हो क्या "..इन चंद शब्दो से कितना कुछ बदल जाता है। ...
पतिदेव तो कह क इंतज़ार में अपना काम में लग जाते है पर पत्नी क तूफानी दिमाग में अब जो शांति की लहार चलती है वो भी उसे एक नया नाम देती है की कितनी नाजुक और भोली हो जाती है वो ही स्त्री जो कुछ देर पहले सोच रही होती है क ज़िन्दगी बेकार है सिर्फ इतने से प्यार भरे शब्दो से एक दुर्गा और झाँसी को एक मिनट में लक्ष्मी ,शकुंतला और कामिनी ,,जैसे ख्याल लाती है के में कितना बुरा सोच रही थी ऐसे तो इनको हमारी कितनी फ़िक्र है और या ही सब को अगर पतिदेव की तरफ चल क सोचे तो जब वो अपने कार्य स्थल पर जाये,और ऐसे लोगो से मिले जो इनको काम के बाद सिर्फ शिकायत या सलाह दे तब लगता है के घर पे मेरी पत्नी कितनी सुनती है मुझे,समझती है,वह का में बॉस हु यहाँ तो जैसे एक पत्नी चाय क आर्डर से पहले सोच रही थी वैसे ही ख्याल एक पति क दिमाग में तूफान की तरह उठते ही जब बच्चे ख़ुशी से गले लगते है ,पत्नी प्यार से चाय लाना या आराम से बात करना भी एक उपहार से काम नहीं होता जिसके लिए पूरा दिन सुनते है।
पतिदेव तो कह क इंतज़ार में अपना काम में लग जाते है पर पत्नी क तूफानी दिमाग में अब जो शांति की लहार चलती है वो भी उसे एक नया नाम देती है की कितनी नाजुक और भोली हो जाती है वो ही स्त्री जो कुछ देर पहले सोच रही होती है क ज़िन्दगी बेकार है सिर्फ इतने से प्यार भरे शब्दो से एक दुर्गा और झाँसी को एक मिनट में लक्ष्मी ,शकुंतला और कामिनी ,,जैसे ख्याल लाती है के में कितना बुरा सोच रही थी ऐसे तो इनको हमारी कितनी फ़िक्र है और या ही सब को अगर पतिदेव की तरफ चल क सोचे तो जब वो अपने कार्य स्थल पर जाये,और ऐसे लोगो से मिले जो इनको काम के बाद सिर्फ शिकायत या सलाह दे तब लगता है के घर पे मेरी पत्नी कितनी सुनती है मुझे,समझती है,वह का में बॉस हु यहाँ तो जैसे एक पत्नी चाय क आर्डर से पहले सोच रही थी वैसे ही ख्याल एक पति क दिमाग में तूफान की तरह उठते ही जब बच्चे ख़ुशी से गले लगते है ,पत्नी प्यार से चाय लाना या आराम से बात करना भी एक उपहार से काम नहीं होता जिसके लिए पूरा दिन सुनते है।
कहने का आशय यह है की पति पत्नी के बीच वो जैसा कुछ नहीं होता ! अगर दोनों के नजरिये से सोचा जाये तो.....पर हाँ दूरिया जरूर बढ़ जाती है !!इस तरह दोनों यही सोचते रहते है है "वो" ऐसे नहीं करे तो सब सही हो जायेगा..
आपके साथ ऐसा हो तो हमें चाहिए की हम ऐसे सोचे की में एक बार ये न कर कर के करू। जो इसे पसंद नहीं, तो शायद एक एक कदम और हम" वो" से हम हो जाते है अच्छा लगता है थोड़ा सा भी झुक क देखे सामने वाले के अनुसार कुछ कर के देखे तो है..
पता सब को होता है पर करने के लिए हिम्मत चाहिए होती है। अपने अहम् और गीले शिकवे भूल कर करके देखो।
आपके साथ ऐसा हो तो हमें चाहिए की हम ऐसे सोचे की में एक बार ये न कर कर के करू। जो इसे पसंद नहीं, तो शायद एक एक कदम और हम" वो" से हम हो जाते है अच्छा लगता है थोड़ा सा भी झुक क देखे सामने वाले के अनुसार कुछ कर के देखे तो है..
पता सब को होता है पर करने के लिए हिम्मत चाहिए होती है। अपने अहम् और गीले शिकवे भूल कर करके देखो।
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