पत्नि

ये एक शब्द नहीं  इसमें हजारो भावनाये छुपी होती है जो वो खुद समझ सकती है जो इस दौर से गुजर रही है। ..
एक प्यारी सी लड़की मनु ,जो अपने में ही मस्त रहती है ,ज्यादा से ज्यादा भाई बहनो से झगड़ना एक बड़ा काम है। .फिर दोस्तों से थोड़ी गपशप और बस की समय में पढाई या मम्मी से बतियाना। .उसे  लगता है सब बहुत सरल होता है में तो शादी  के  बाद सब मैनेज कर सकती हु। अभी तो मम्मी कुछ बोल दिया तो मन हुआ जब करना हो भले ही उस समय मम्मी को बिंदास बोल देती है मम्मी क्या हुआ तो बाद में कर लुंगी,मेरी पढाई है मेरे अभी , ये महज एक बहाना मात्र होता था। ...
हाँ वैसे सपने तो हर लड़की देखती है पर पुरे करने के  लिए बहुत कम को वैसा माहौल मिल पाता है। मम्मी को कुछ भी बोल के उस काम को टाल देना भी एक कला होती थी उसमे। और मम्मी कोनसा उसका इंतजार कर रही होती है वो भी आदत क अनुसार कब का कर लेती है उस काम को और उसे बुलाती है खाना खा लो या कुछ तो खा लो जैसे शब्दों का ही उसके कानो को इंतजार रहता है। .!
फिर क्या खाने कहते समय वही बाटे सुनना जिसकी उसे आदत हो चुकी है ,भाई कहता है मम्मी तुम इसे बिगाड़ रही हो. माँ भी बोलती है फिर हाँ बेटा  अभी कुछ सीख लो आगे ससुराल में सुनना नहीं पड़ेगा। पर एक कान  से सुनकर है कर दूसरे से निकाल कर उठ जाना।


ऐसे ही हसी मजाक में दिन निकलते रहते है। .. और अंत में समय आ जाता है घर की लाडो के शादी की बातें  होने लग जाती है ,और मनु भी उन बातो में रूचि दिखाने लगी। बस परिवार वालो ने उसके अनुसार अच्छा सा रिश्ता तय  कर दिया। और शादी भी कर दी ,.

बहुत खुसनसीब है वो तो जो इतना अच्छा लड़का और परिवार वाले मिले है।  .....
बस एक पत्नी क रूप में ज़िन्दगी की शुरुआत हो गयी मनु की। अब उसे हर बात में ऐसे लगता था अरे मुझे कुछ आता नहीं ये लोग इतना क्या समझा रहे है। मुझे तो ये सही लग रहा है। ..ये सारी बातें वो सोच ही सकती थी कह नहीं सकती थी। . कोई बात नहीं इनका सब का दिल जितना है मुझे ये सोच के वो नजरअंदाज कर देती थी।
बस एक साल हुआ ही था धीरे धीरे चुलबुली मनु को एक लाचारी सी लगने लग गयी के मेरे पति से जब भी कोई मन की बात करती हु वो ये बोल के चुप करा देते है की हाँ मुझेपता  है तुम सही हो पर कोई बात नहीं। चुप रहो.!!


मनु की ये चुप्पी कब घुटन में बदल गयी उसे पता ही नहीं चला। . हाँ पति बहुत अच्छे थे पर उसने अकेले तन्हा तो में जब सोचा तो अनुभव हुआ के ये सब तो मुझे बहला के सिर्फ अपने परिवार का बचाव हो रहा है मेरी हर भावना को दबाया जा रहा है। .पता  नहीं हो सकता है में ही गलत सोच रही होउंगी। .बस ऐसे ही सही गलत सोचते सोचते। .फिर से काम लग जाती है। ऐसे ही दिन बीतने लगते है। पत्नी  का किरदार निभाना बहुत भरी हो रहा था मनु के लिए अब हर बात में मम्मी की बाटे याद आती थी ,सुबह उठते ही मम्मी की आवाजे और डांटते समय भी एक प्यार होता था जो दिखता नहीं था अनुभव होता था ,आज वेस ही अगर किसी छोटी सी गलती पर ताने या डांट  मिलती है तो उसमे भी मुँह उदास नहीं कर सकते क्यों की ये सुनने को मिलता था के क्या हुआ मम्मी डाँटती  नहीं थी क्या ? अब उनको कौन बताये के मम्मी इसलिए डांटती थी के आगे जा के  सुनना न पड़े,और इस डांट में एक शिकायत या किसी को ग्लानि अनुभव करना साफ छलकता था.

पत्नी का फर्ज निभाते निभाते उसे अपनी मम्मी पापा की हर वो बात याद  आने लगी जिसके लिए वो उनको परेशान किया करती थी।
धीरे धीरे तो पतिदेव भी अपना प्यार और लाड से सायद ऊब गए ,अब मनु जैसे बड़े बच्चे को कब तक लाड़ लड़ाये ....
अब दिल की बात बताने पे उनकी भी झुंझुलाहट साफ दिखाई देती थी ,के अब तुम खुद देखो और ऐसे छोटी छोटी बातो के लिए परेशान मत हुआ करो !मुझे फिर टेंशन हो जाती है में अपना काम अच्छे से नहीं देख पता फिर..
बस अब तो लाडो का मन तो और सिमट गया। माँ का फोन भी आये तो हाँ सब बढ़िया है इससे ज्यादा पता नहीं क्यों नहीं बोलती है ,खेर कोई नयी बात नहीं उसकी बातें अब उसे अपनी माँ की जीवन की हर बात से मिलती जुलती लगने लगी थी ,अब लगने लगा हम कभी मम्मी को समझ नहीं पाए !!!
समझ ही नहीं आ रहा था उसे के वो खुश है या परेशान हाँ दुखी नहीं कह सकते क्यों के उसे किसी चीज की कमी नहीं थी वहां सिवाय सोच नहीं मिलती थी....
पत्नी बन के कभी ढेर सारा प्यार तो कभी ये भी सुनने को मिलता था के चली जा अपने मायके। ....
जो लोग  उसे ये कह के मानते है के इसे अपना घर समझोगी तभी खुश रह पाओगी वो एक पल में बोल देते है चली जा अपने घर। .. और वापस जब उनका मूड अच्छा हो तब जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो ,वैसा !अरे मेने तो गुस्से में बोल दिया इतना क्या सोच रही है !
मनु अभी भी अजीब मनःस्तिथि में के मेरा दिल टूटा तो क्या में अभी भी गलत नाराज या दुखी हुई थी क्या?क्या इसमें भी मेरी गलती थी !!
 पत्नी क्या बन गयी समझदारी का बोझा लाद दिया जाता है। .
और जब वो घर जाती है यानि अपने मायके ,घर तो किसी लड़की को शायद ही पता होगा ,की  कोनसा होता है!
घर जाते ही सब की नज़रे उस के चेहरे की रौनक पर रहती है उसी से माँ पापा अंदाजा लगा लेते है के कैसी है उनकी लाडो। पर फिर भी उसकी बातें सुनते है ताकि उसका मन हल्का हो जाये पर उनको नहीं पता के अब लाडो सर पर समझदारी का पत्नी का मुकुट  लगा के आई है। सब अच्छा है ,इसके अलावा कोई खास अलग से नहीं सुना। वो भी क्या करती अब इतनी समझ हो गयी के माँ पापा को देखते ही लगता है इनको क्यों टेंशन दू।
 पर क्या पत्नी का मतलब हमारे समाज में यही रहेगा हमेशा ???कहने का आशय है के हर औरत ये ही सोचती रहेगी के मुझे अपनी सहनशक्ति को और बढ़ाना है। क्यों क्या उसे भी अपना बचपन या अपनी मन की कोई बात करने और कहने का हक़ तो होना चाहिए ,पर हमारे यहाँ जो हक़ के  लिए बोल देती है उसे  लड़ाकू या बात संस्कारो पे आ जाती है जो असहनीय होता है !
और जो लड़की नहीं बोलती उसका सब सिर्फ और सिर्फ अच्छी का ताज पहना के देवी का नाम दे के उसे अंदर से ख़तम कर देते है वो चाह के भी कुछ बोल नहीं पाती।

ऐसा क्यों होता है पता है इसका कारण भी कही न कही हम खुद है ,अपने विचार किसी को बताना गलत नहीं होता हाँ अगर वो नहीं माने तो समझाओ ,वो भी उनका मूड देख के। वरना  आपको ये भी कहा जा सकता है के सामने बोलती है !
मनु की तरह हम सब भी अपना बचपना जिससे सब को खुश रख सकते है उसे ख़तम कर दिया है पता है पति या ससुराल वालो को एक भाषा में कहे तो समझाना बहुत  आसान होता है बस अपने  उसूल मत खोवो !
अपना काम हम अच्छे से करते है उन सब के सारे काम करते है ,इतना सुनते है सब का ,फिर भी पत्नी ही क्यों हमेशा परेशान रहती है ,सारा कर के पानी फेरना भी हमें बखूबी आता है तो कभी कभी उन के जैसे स्वार्थी बनना सीखो या कहे तो दिखावा कह सकते है ,हम सब क आस पास एक ऐसा चरित्र जरूर होता है जो करते इतना नहीं जितना दिख जाता है और तारीफ पा लेती है !ये गलत नहीं है उनको कला आती है ये !....
तो पत्नी के रूप में देविय रूप को अपनाने के साथ थोड़ा अपनी ज़िन्दगी भी जिओ..इतना ही कहना था आशा करती हु में  हर उस पल को छू पाई जो पत्नी बिताती है। .कुछ रह गया तो आप  जरूर बताये, हम उस पर चर्चा कर के सुलझाने की कोशिश करेंगे और मन हल्का  होने में भी एक आनंद  आता है !अपने विचार आप कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे मुझे इंतजार रहेगा....


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